आपको हंसाने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं अपने सूखे हुए जख्मो को कुरेद कर दिखा देते हैं क्या फर्क पड़ता है हमें कहीं पर कितनी भीड़ हो हम तो खाली कुर्सियों को ही कविता सुना देते हैं आप कितना भी सोच लो हम नहीं हँसेगे आप तो इंसान हैं हम गधों को भी हंसा देते हैं Mohd Waris Ansari... गधों को भी हंसा देते हैं