रूक जाते तूम शायद मै भी जी भर के देख लेती तूम को थोडा और जी लेती मै भी छूप कर देखा था एक बार न जाने फिर कहाँ ओझल हो गये तूम ठहर जाते तूम कूछ पल दो पल थोडा और जी लेती मै भी पिछा करती करती हूँ तेरा रास्ते पर रास्ते मिलो जो तूम आज तो कहूँगी दिल का हाल मगर , फिर चल दिये मेरी पहूँच से दूर काश इन्तजार करते तूम बांहे फैलाये मेरा थोडा और जी लेती मै भी । (चाँदनी) ©Sangeeta Verma थोडा