"14 फरवरी" (पुलवामा) वो 14 फरवरी की शाम,पाकिस्तान मैं कैसे भूल जाऊ। जो देखा था इन आंखों ने ,वो मंजर कैसे भूल जाऊं। वो हालत, वो आवाजें, वो रातें कैसे भूल जाऊं। जो फैला था उन सड़कों पर, वो रक्त कैसे भूल जाऊं। जो पसरा था देश के कोने-कोने में, वो मातम कैसे भूल जाऊ। जो छूटा उन मासूमों से, वो बाप का साया कैसे भूल जाऊं। जो न मिली उन वेबस मांओ को, वो लाशें कैसे भूल जाऊं। जो दिया था दर्द हमें, वो दर्द कैसे भूल जाऊं। जो हो कबूल मेरी फरियाद, तो तेरा बजूद भूल जाऊं।। -शीतल शेखर ©Sheetal Shekhar #14फरवरी पुलवामा अटैक Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) तन्हा शायर जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)