मधुर मदिरा का स्वाद प्रिये ले रहा हूँ अरसों से छोटे छोटे पत्रो में सजी है मदिरा का रसपान प्रिये जब मस्तक में मदिरा लहराएगी तब करना ये गुणगान प्रिये लबो से ये लग जाती जब करते सब ये गुणगान प्रिये ये ना धोखा देती है इसका सबके प्रति प्रेम प्रिये चाहे कितना भी गम आया हो कर इसका रसपान प्रिये सबकुछ स्वाहा हो जाएगा कर लिया जो इस से प्रेम प्रिये मदिरा