Alone शख्सियतो के हुजूम में वजूद कही बिखर सा गया उदारता के व्यक्तित्व ने कटाक्ष पात्र का आदी किया डर के कृपाण ने चरित्र को कही ढक सा दिया भ्रम की सिफारिश ने मोह को कही बांध लिया दास्ता- ए- मन का हाल समझ के परे हो चला सोच की बाहों की जकड़न ने वास्तविकता को धुंधला किया मैं के समावेश ने मुझको ही कही रोक लिया ©kirtesh #finding #Myself #alone