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Alone शख्सियतो के हुजूम में वजूद कही बिखर सा गया

Alone  शख्सियतो के हुजूम में
वजूद कही बिखर सा गया
उदारता के व्यक्तित्व ने
कटाक्ष पात्र का आदी किया
डर के कृपाण ने
चरित्र को कही ढक सा दिया
भ्रम की सिफारिश ने
मोह को कही बांध लिया
दास्ता- ए- मन का हाल
समझ के परे हो चला
सोच की बाहों की जकड़न ने
वास्तविकता को धुंधला किया
मैं के समावेश ने
मुझको ही कही रोक लिया
©kirtesh #finding #Myself 

#alone
Alone  शख्सियतो के हुजूम में
वजूद कही बिखर सा गया
उदारता के व्यक्तित्व ने
कटाक्ष पात्र का आदी किया
डर के कृपाण ने
चरित्र को कही ढक सा दिया
भ्रम की सिफारिश ने
मोह को कही बांध लिया
दास्ता- ए- मन का हाल
समझ के परे हो चला
सोच की बाहों की जकड़न ने
वास्तविकता को धुंधला किया
मैं के समावेश ने
मुझको ही कही रोक लिया
©kirtesh #finding #Myself 

#alone