अपनो की दुकान चल नही रही है, पराये लुटने को तैयार बैठे हैं। हर शख्स मौके की तलाश में हैं एक दुसरे से छीनने के लिए। हालात ऐसे हैं कि न तो कोई सुदामा है न कोई कृष्ण। सारे के सारे दुर्योधन शकुनी के इशारे पर है।