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- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' अट नहीं रही

- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' अट    नहीं  रही     है
आभा फागुन की तन
सट     नहीं   रही  है I

कहीं   सांस  लेते  हो,
घर - घर  भर देते  हो,
उड़ने को  नभ में तुम
पर - पर कर  देते  हो,
- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' अट    नहीं  रही     है
आभा फागुन की तन
सट     नहीं   रही  है I

कहीं   सांस  लेते  हो,
घर - घर  भर देते  हो,
उड़ने को  नभ में तुम
पर - पर कर  देते  हो,
alpanabhardwaj6740

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