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ज़िन्दगी-गीत गोविन्द है, उर में रत् प्रीत गोविन्द

ज़िन्दगी-गीत गोविन्द है,
उर में रत् प्रीत गोविन्द है।

ज़िन्दगी राधारानी है,तो-
श्रम का नवनीत गोविन्द है।

जीत को गीत गर हम कहें,
कर्म-संगीत गोविन्द है।

उड़ता खग छू सके आसमां,
यूँ रचे रीत गोविन्द है।

आओ गाएँ सरस मिल के हम,
दिल का अनुगीत गोविन्द है।
*सतीश तिवारी सरस

©सतीश तिवारी 'सरस' 
  #आओ_गायें..