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कौन नहीं चाहता अपने मन का सा उसका भी हो कोई एक अपन

कौन नहीं चाहता अपने मन का सा
उसका भी हो कोई एक अपना सा

भोर-अस्त संध्या,रात्रि शयन सब 
हो उसके साथ ही सब मनोहर सा

पास जिसके हृदय रमे भक्त सा
साथ जिसके दिल कूके कोयल सा

नज़रों को जिसकी निहारते ही
यौवन थिरक उठे दामिनी सा

कौन नहीं चाहता अपना सा
चाहे कोई उसे ईश्वर सा!
🌹
Copyright protected ©️®️ कौन नहीं चाहता...
#कौननहींचाहता #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कौन नहीं चाहता अपने मन का सा
उसका भी हो कोई एक अपना सा

भोर-अस्त संध्या,रात्रि शयन सब 
हो उसके साथ ही सब मनोहर सा

पास जिसके हृदय रमे भक्त सा
साथ जिसके दिल कूके कोयल सा

नज़रों को जिसकी निहारते ही
यौवन थिरक उठे दामिनी सा

कौन नहीं चाहता अपना सा
चाहे कोई उसे ईश्वर सा!
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