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मेरे पापा जिनसे मेरी जान, शान और पहचान है ऐसे है म

मेरे पापा
जिनसे मेरी जान, शान और पहचान है
ऐसे है मेरे पापा! 
लिखने को क्या लिखू मै उनके बारे मे, 
जिनके लिए शब्द न बांध पाऊँ, 
ऐसे है मेरे पापा! 
16 साल की उम्र , जिसे आज teenage कहा जाता हैं, 
इस उम्र मै forest Guard बने पापा! 
परिवार की पहचान और गाँव की शान बने मेरे पापा! 
दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करते गये पापा, 
forest guard से B. O. retired तक का सफर तय किया, 
तभी गाँव मे "बाबू " कहलाये पापा! 
कमी कोई न दी परिवार को, 
बच्चो को अच्छी शिक्षा और अच्छा इंसान
बनाया! 
ये है मेरे पापा! 
उनके हाथ का वो लजीज खाना , 
हाँ थोड़ा तीखा होता था पर लाजवाब होता था! 
उनके वो दो पेग मारना और
हमसे english to english talk करना, 
हमसे वो G. K. के questions पूछना और
न आने पर "फिर क्या पढ़ते" हो बोलना, 
at the end mummy के through हमारा बचना, 
और पापा का वो mummy को "पंजााबन " बोलना, 
भाई साहब -क्या दिन थे! 
फिर वो 2021 की साल जिसे कोई देश, कोई शहर, कोई गाँव नही भूल सकता, 
corona, lockdown तो याद ही होगा, 
जिसमे हर किसी  ने अपने एक को खोया होगा, 
और कैसे भूल सकती हू मै भी! 
मेरे पापा
हल्का बुखार और फिर बीमार, 
हॉस्पिटल का सफर अपने पाँव पर तय किया क्योकि, 
काफी strong जो ठहरे मेरे पापा! 
घर वापसी उनका यूँ peralised आना, 
और घर मे फिर मौन छाना! 
papa कि वो तबियत बिगड़ना, 
और फिर सबका एक दूसरे से छिपकर रोना, 
सबकी उम्मीदों का यूं कम होना और, 
पापा को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना, 
इसलिए उनका आज हमारे साथ होना! 
आज मेरी पहचान उनके नाम से होना, 
किसी का मुझे "B. O. sahab" की बोलना और 
मेरा उन्हे कहना जी हाँ यही है
मेरे पापा....!!

©Nisha Sharma #bachpan .मेरे पापा....!!
मेरे पापा
जिनसे मेरी जान, शान और पहचान है
ऐसे है मेरे पापा! 
लिखने को क्या लिखू मै उनके बारे मे, 
जिनके लिए शब्द न बांध पाऊँ, 
ऐसे है मेरे पापा! 
16 साल की उम्र , जिसे आज teenage कहा जाता हैं, 
इस उम्र मै forest Guard बने पापा! 
परिवार की पहचान और गाँव की शान बने मेरे पापा! 
दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करते गये पापा, 
forest guard से B. O. retired तक का सफर तय किया, 
तभी गाँव मे "बाबू " कहलाये पापा! 
कमी कोई न दी परिवार को, 
बच्चो को अच्छी शिक्षा और अच्छा इंसान
बनाया! 
ये है मेरे पापा! 
उनके हाथ का वो लजीज खाना , 
हाँ थोड़ा तीखा होता था पर लाजवाब होता था! 
उनके वो दो पेग मारना और
हमसे english to english talk करना, 
हमसे वो G. K. के questions पूछना और
न आने पर "फिर क्या पढ़ते" हो बोलना, 
at the end mummy के through हमारा बचना, 
और पापा का वो mummy को "पंजााबन " बोलना, 
भाई साहब -क्या दिन थे! 
फिर वो 2021 की साल जिसे कोई देश, कोई शहर, कोई गाँव नही भूल सकता, 
corona, lockdown तो याद ही होगा, 
जिसमे हर किसी  ने अपने एक को खोया होगा, 
और कैसे भूल सकती हू मै भी! 
मेरे पापा
हल्का बुखार और फिर बीमार, 
हॉस्पिटल का सफर अपने पाँव पर तय किया क्योकि, 
काफी strong जो ठहरे मेरे पापा! 
घर वापसी उनका यूँ peralised आना, 
और घर मे फिर मौन छाना! 
papa कि वो तबियत बिगड़ना, 
और फिर सबका एक दूसरे से छिपकर रोना, 
सबकी उम्मीदों का यूं कम होना और, 
पापा को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना, 
इसलिए उनका आज हमारे साथ होना! 
आज मेरी पहचान उनके नाम से होना, 
किसी का मुझे "B. O. sahab" की बोलना और 
मेरा उन्हे कहना जी हाँ यही है
मेरे पापा....!!

©Nisha Sharma #bachpan .मेरे पापा....!!
nishasharma8304

Nisha Sharma

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