दिल में सबके जो बस जाएँ, ये जीवन सफल उनका हो जाए। सुंदर तन का क्या करना गुमान, काला मन किसी को ना भाए। अच्छी करनी ही तारेगी हमको, बुरे कर्म कर क्यूँ पछताएँ। सबका दिन आता है इक रोज़, अपने आज पर क्यूँ इतराएँ। कोई नहीं रहा इस जग में सदा के लिए, अमर होने की इच्छा दिल में क्यूँ जगायी जाए। अपने लिए तो दुनिया में जीते हैं सभी, स्वार्थ छोड़ क्यूँ ना दूसरों के लिए जिया जाए। कोई गोरा कोई काला है, मगर हर रंग निराला है। किसी को घमंड धन का, लेक़िन ग़रीब वो मन का। यही ज़मीं है यही आसमाँ, एक ही बसेरा सबका यहाँ।