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दोस्ती जब भी किसी से की जाए, पहले जांच परख ली जाए,

दोस्ती जब भी किसी से की जाए, पहले जांच परख ली जाए, जांच लिया जाए कि आपने जिससे दोस्ती की है उसे आप पर भरोसा है भी कि नहीं, यह भी देख लिया जाए कि वह आपकी निस्वार्थ दोस्ती को आपकी मतलबपरस्ती तो नहीं मान बैठेगा, आपको जानना पड़ेगा आपके दोस्त के दोस्त कहीं मौकापरस्त तो नहीं हैं, और कहीं वह कान का कच्चा हुआ तो ऐसे में दोस्त कभी भी टूट सकता है, यदि आप सचमुच किसी को दोस्त मानते हैं, और उसका हित चाहते हैं, तो चुपचाप ऐसे लोगों से किनारा कर लेना चाहिए, दोस्ती हमेशा एक दिल, एक दिमाग़ और एक ही सोच वाले लोगों के साथ निभ पाती है नहीं है...
किसी ने सच ही कहा है "A best friend is that who knows all about you and still loves you."
लोग कभी भी दो लोगों की दोस्ती बर्दाश्त नहीं कर पाते, और तिल का ताड़ बनाते हैं, जो जिंदा है उसकी ख़बर कोई नहीं रखता, लेकिन गड़े मुर्दे उखाड़ने में सर खपाते हैं, कभी सोचा है किसी ने, दो लोग हमेशा दोस्त क्यों नहीं रह पाते, वजह होती है मरने के बाद भी लाशों को लोग दिये जलाते हैं,  आज क्या है यह कोई महसूस नहीं करता, कल क्या था क्या नहीं ये कोई नहीं जानता, जानता भी है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता, आज आप क्या हैं यह मायने रखता है, वह भी इसलिए ताकी जिंदगी के चार पल सुकून से जिए जा सकें, वरना तो ज्यादा सोचने की जरूरत ही नहीं, लोग अक्सर किसी भी बात का रायता फैलाते देर नहीं लगाते,  समझो तो ज़रा
दोस्ती जब भी किसी से की जाए, पहले जांच परख ली जाए, जांच लिया जाए कि आपने जिससे दोस्ती की है उसे आप पर भरोसा है भी कि नहीं, यह भी देख लिया जाए कि वह आपकी निस्वार्थ दोस्ती को आपकी मतलबपरस्ती तो नहीं मान बैठेगा, आपको जानना पड़ेगा आपके दोस्त के दोस्त कहीं मौकापरस्त तो नहीं हैं, और कहीं वह कान का कच्चा हुआ तो ऐसे में दोस्त कभी भी टूट सकता है, यदि आप सचमुच किसी को दोस्त मानते हैं, और उसका हित चाहते हैं, तो चुपचाप ऐसे लोगों से किनारा कर लेना चाहिए, दोस्ती हमेशा एक दिल, एक दिमाग़ और एक ही सोच वाले लोगों के साथ निभ पाती है नहीं है...
किसी ने सच ही कहा है "A best friend is that who knows all about you and still loves you."
लोग कभी भी दो लोगों की दोस्ती बर्दाश्त नहीं कर पाते, और तिल का ताड़ बनाते हैं, जो जिंदा है उसकी ख़बर कोई नहीं रखता, लेकिन गड़े मुर्दे उखाड़ने में सर खपाते हैं, कभी सोचा है किसी ने, दो लोग हमेशा दोस्त क्यों नहीं रह पाते, वजह होती है मरने के बाद भी लाशों को लोग दिये जलाते हैं,  आज क्या है यह कोई महसूस नहीं करता, कल क्या था क्या नहीं ये कोई नहीं जानता, जानता भी है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता, आज आप क्या हैं यह मायने रखता है, वह भी इसलिए ताकी जिंदगी के चार पल सुकून से जिए जा सकें, वरना तो ज्यादा सोचने की जरूरत ही नहीं, लोग अक्सर किसी भी बात का रायता फैलाते देर नहीं लगाते,  समझो तो ज़रा