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"माँ का प्यार Vs लड़की का प्यार" सोंचता हूँ शूली पे

"माँ का प्यार Vs लड़की का प्यार"
सोंचता हूँ शूली पे चढ के,अपनी जाँ मै दे डालू।
लेकिन किसी लडकी की खातिर,अपनी जाँ क्यूँ दे डालू।।
मम्मी और पापा हैं घर में, उनका भी तो दुलारा हूँ।
मै तो प्यार से हारा हूँ, बस मै तो प्यार से हारा हूँ।।
मैने सोंचा क्यूँ न इसको, तराजू मे रख तौला जाये।
तराजू मे गर ये भारी हो, तो फिर इसको माना जाये।।
फिर रख तराजू मे इसको, माँ के संग में तौला है।
माँ का प्यार ही भारी था, ये तो खेल खिलौना है।। Achal Sharma Savita Veer
"माँ का प्यार Vs लड़की का प्यार"
सोंचता हूँ शूली पे चढ के,अपनी जाँ मै दे डालू।
लेकिन किसी लडकी की खातिर,अपनी जाँ क्यूँ दे डालू।।
मम्मी और पापा हैं घर में, उनका भी तो दुलारा हूँ।
मै तो प्यार से हारा हूँ, बस मै तो प्यार से हारा हूँ।।
मैने सोंचा क्यूँ न इसको, तराजू मे रख तौला जाये।
तराजू मे गर ये भारी हो, तो फिर इसको माना जाये।।
फिर रख तराजू मे इसको, माँ के संग में तौला है।
माँ का प्यार ही भारी था, ये तो खेल खिलौना है।। Achal Sharma Savita Veer
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