मेरे शौक, मेरी आदतों से शिक़ायत थी, एक शक़्स को आशिक़ी से अदावत थी। गौर किया नहीं, ध्यान मेरा गया लेकिन, जिस और देखा, आशिकों की रफ़ाक़त थी। अख़बार में कुछ घिनौने समाचार थे, और हर नेता की अपनी ही वकालत थी। खेल चलता रहा, दाव पेच चलते रहे, लोगों ने जीत कर, अपनी ही फ़ज़ीहत की। Waiting for your comment's. Try at ghazal writing!