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Hello Neema! #full story In caption हमारा रिश्ता

Hello Neema!

#full story In caption हमारा रिश्ता और नीम का पेड़

पार्क में एक बेंच पर बैठे हुए रश्मि लगभग 35-40 साल की उम्र के एक नीम के पेड़ को घूर रही थी। सोच में पूर्णतः लिप्त रश्मि को देखते हुए श्याम काफी देर तक समझने की कोशिश करता रहा कि आख़िर रश्मि क्या सोच रही है!? इस पार्क में वो दोनों अक्सर आया करते थे। और उस अधेड़ उम्र के नीम के पेड़ से रश्मि को खासी लगाव था। श्याम भी इस बात को अच्छी तरह समझता था। अक्सर इस पार्क में आते ही रश्मि इस नीम के पेड़ को छू कर "हेल्लो! नीमा।" कह कर अन्दर जाया करती थी। यही नीम का पेड़ दोनों की दोस्ती का खास गवाह भी था। तो फिर आज यूं मायूस सी होकर रश्मि इस पेड़ को क्यों घूर रही थी....!?

आखिरकार, श्याम ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछ ही लिया कि, "किस सोच में खोई हो रश्मि?"  सैंकड़ों तरह के भाव रश्मि के चेहरे पर आ गये और वो बड़ी अच्र्जता से बोली, "सुनो श्याम इस पेड़ को किसी ने कितने प्रेम से लगाया होगा....(फिर वो कुछ रुक कर आगे बोली) क्या तुम जानते हो नीम का पेड़ प्रदूषित हवा को साफ़ करता है!? इसीलिए इसे आँगन में लगाना बहुत अच्छा माना जाता है। ठीक वैसे ही जैसे कभी हम दोनों ने अपनी दोस्ती की नींव रखी थी अपनी ज़िन्दगी में। इस चाहत के साथ की चाहे अब कितनी भी कठिनाई रुपी प्रदूषित हवा चले, पर हमारी मित्रता हमारे जीवन को साफ़ रखे।" (आज कल दोनों की मित्रता का थोड़ा कठिन समय चल रहा है... शायद इसी कारण रश्मि मायूस थी। किन्तु उसकी आँखे अब भी उम्मीद की रौशनी से चमक रही थीं)

फिर आगे बढ़ते हुए रश्मि ने कहा, "जब इस पेड़ को बोया गया होगा तो इसका मालिक इसे रोज़ पानी देता होगा, पर जब इसकी जड़े पक्की हुई होंगी तो मालिक ने पानी देना बंद कर दिया होगा। तो श्याम! क्या अब इस पेड़ को पानी की ज़रूरत नहीं होती होगी!?" श्याम ने हंसकर रश्मि की ओर देखा और कहा की "ज़रूरत तो होती होगी पानी की लेकिन अब पेड़ की जड़ें मज़बूत है तो ख़ुद ही ज़मीन से पानी निकाल लेती होंगी।"
रश्मि ने बड़े विश्वास से श्याम को देखा और जवाब दिया "देखो इस पेड़ से हमारी ज़िन्दगी कितनी मेल खाती है। हम भी जब दोस्त बने थे तो अक्सर एक-दूसरे की तारीफें किया करते थे। जैसे इस पेड़ का माली इसे पानी देता होगा। लेकिन जब हमारी दोस्ती गहरी होने लगी तो हमने  भी एक दूसरे की तारीफ करना छोड़ दिया। हम भी तो अब ख़ुद ही एक- दूसरे की बातों से ज़िन्दगी में अपनी तारीफ़ ढूँढने की कोशिश करते हैं।" यह कहकर रश्मि फिर से मौन हो गई। उसके चेहरे पर पीड़ा साफ़ दिख रही थी।
Hello Neema!

#full story In caption हमारा रिश्ता और नीम का पेड़

पार्क में एक बेंच पर बैठे हुए रश्मि लगभग 35-40 साल की उम्र के एक नीम के पेड़ को घूर रही थी। सोच में पूर्णतः लिप्त रश्मि को देखते हुए श्याम काफी देर तक समझने की कोशिश करता रहा कि आख़िर रश्मि क्या सोच रही है!? इस पार्क में वो दोनों अक्सर आया करते थे। और उस अधेड़ उम्र के नीम के पेड़ से रश्मि को खासी लगाव था। श्याम भी इस बात को अच्छी तरह समझता था। अक्सर इस पार्क में आते ही रश्मि इस नीम के पेड़ को छू कर "हेल्लो! नीमा।" कह कर अन्दर जाया करती थी। यही नीम का पेड़ दोनों की दोस्ती का खास गवाह भी था। तो फिर आज यूं मायूस सी होकर रश्मि इस पेड़ को क्यों घूर रही थी....!?

आखिरकार, श्याम ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछ ही लिया कि, "किस सोच में खोई हो रश्मि?"  सैंकड़ों तरह के भाव रश्मि के चेहरे पर आ गये और वो बड़ी अच्र्जता से बोली, "सुनो श्याम इस पेड़ को किसी ने कितने प्रेम से लगाया होगा....(फिर वो कुछ रुक कर आगे बोली) क्या तुम जानते हो नीम का पेड़ प्रदूषित हवा को साफ़ करता है!? इसीलिए इसे आँगन में लगाना बहुत अच्छा माना जाता है। ठीक वैसे ही जैसे कभी हम दोनों ने अपनी दोस्ती की नींव रखी थी अपनी ज़िन्दगी में। इस चाहत के साथ की चाहे अब कितनी भी कठिनाई रुपी प्रदूषित हवा चले, पर हमारी मित्रता हमारे जीवन को साफ़ रखे।" (आज कल दोनों की मित्रता का थोड़ा कठिन समय चल रहा है... शायद इसी कारण रश्मि मायूस थी। किन्तु उसकी आँखे अब भी उम्मीद की रौशनी से चमक रही थीं)

फिर आगे बढ़ते हुए रश्मि ने कहा, "जब इस पेड़ को बोया गया होगा तो इसका मालिक इसे रोज़ पानी देता होगा, पर जब इसकी जड़े पक्की हुई होंगी तो मालिक ने पानी देना बंद कर दिया होगा। तो श्याम! क्या अब इस पेड़ को पानी की ज़रूरत नहीं होती होगी!?" श्याम ने हंसकर रश्मि की ओर देखा और कहा की "ज़रूरत तो होती होगी पानी की लेकिन अब पेड़ की जड़ें मज़बूत है तो ख़ुद ही ज़मीन से पानी निकाल लेती होंगी।"
रश्मि ने बड़े विश्वास से श्याम को देखा और जवाब दिया "देखो इस पेड़ से हमारी ज़िन्दगी कितनी मेल खाती है। हम भी जब दोस्त बने थे तो अक्सर एक-दूसरे की तारीफें किया करते थे। जैसे इस पेड़ का माली इसे पानी देता होगा। लेकिन जब हमारी दोस्ती गहरी होने लगी तो हमने  भी एक दूसरे की तारीफ करना छोड़ दिया। हम भी तो अब ख़ुद ही एक- दूसरे की बातों से ज़िन्दगी में अपनी तारीफ़ ढूँढने की कोशिश करते हैं।" यह कहकर रश्मि फिर से मौन हो गई। उसके चेहरे पर पीड़ा साफ़ दिख रही थी।

हमारा रिश्ता और नीम का पेड़ पार्क में एक बेंच पर बैठे हुए रश्मि लगभग 35-40 साल की उम्र के एक नीम के पेड़ को घूर रही थी। सोच में पूर्णतः लिप्त रश्मि को देखते हुए श्याम काफी देर तक समझने की कोशिश करता रहा कि आख़िर रश्मि क्या सोच रही है!? इस पार्क में वो दोनों अक्सर आया करते थे। और उस अधेड़ उम्र के नीम के पेड़ से रश्मि को खासी लगाव था। श्याम भी इस बात को अच्छी तरह समझता था। अक्सर इस पार्क में आते ही रश्मि इस नीम के पेड़ को छू कर "हेल्लो! नीमा।" कह कर अन्दर जाया करती थी। यही नीम का पेड़ दोनों की दोस्ती का खास गवाह भी था। तो फिर आज यूं मायूस सी होकर रश्मि इस पेड़ को क्यों घूर रही थी....!? आखिरकार, श्याम ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछ ही लिया कि, "किस सोच में खोई हो रश्मि?" सैंकड़ों तरह के भाव रश्मि के चेहरे पर आ गये और वो बड़ी अच्र्जता से बोली, "सुनो श्याम इस पेड़ को किसी ने कितने प्रेम से लगाया होगा....(फिर वो कुछ रुक कर आगे बोली) क्या तुम जानते हो नीम का पेड़ प्रदूषित हवा को साफ़ करता है!? इसीलिए इसे आँगन में लगाना बहुत अच्छा माना जाता है। ठीक वैसे ही जैसे कभी हम दोनों ने अपनी दोस्ती की नींव रखी थी अपनी ज़िन्दगी में। इस चाहत के साथ की चाहे अब कितनी भी कठिनाई रुपी प्रदूषित हवा चले, पर हमारी मित्रता हमारे जीवन को साफ़ रखे।" (आज कल दोनों की मित्रता का थोड़ा कठिन समय चल रहा है... शायद इसी कारण रश्मि मायूस थी। किन्तु उसकी आँखे अब भी उम्मीद की रौशनी से चमक रही थीं) फिर आगे बढ़ते हुए रश्मि ने कहा, "जब इस पेड़ को बोया गया होगा तो इसका मालिक इसे रोज़ पानी देता होगा, पर जब इसकी जड़े पक्की हुई होंगी तो मालिक ने पानी देना बंद कर दिया होगा। तो श्याम! क्या अब इस पेड़ को पानी की ज़रूरत नहीं होती होगी!?" श्याम ने हंसकर रश्मि की ओर देखा और कहा की "ज़रूरत तो होती होगी पानी की लेकिन अब पेड़ की जड़ें मज़बूत है तो ख़ुद ही ज़मीन से पानी निकाल लेती होंगी।" रश्मि ने बड़े विश्वास से श्याम को देखा और जवाब दिया "देखो इस पेड़ से हमारी ज़िन्दगी कितनी मेल खाती है। हम भी जब दोस्त बने थे तो अक्सर एक-दूसरे की तारीफें किया करते थे। जैसे इस पेड़ का माली इसे पानी देता होगा। लेकिन जब हमारी दोस्ती गहरी होने लगी तो हमने भी एक दूसरे की तारीफ करना छोड़ दिया। हम भी तो अब ख़ुद ही एक- दूसरे की बातों से ज़िन्दगी में अपनी तारीफ़ ढूँढने की कोशिश करते हैं।" यह कहकर रश्मि फिर से मौन हो गई। उसके चेहरे पर पीड़ा साफ़ दिख रही थी। #Stories #yourquote #yqbaba #yqdidi #yqtales #full #kahani #YourQuotes