वो सावन के मौसम में कागज की कश्ती वो बारिश की बूंदों में कुल्हड़ वाली चाय की मस्ती अब तो बस इन सब चीजों की ऐसी यादें रह गई है जैसे किसी बाढ़ के आने के बाद उजड़ जाती है कोई बस्ती bs yade hi rh gyi hain