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दिन-रात, सुबह-शाम या के दोपहर में हो! किसी के

दिन-रात, सुबह-शाम  या  के  दोपहर  में  हो!
किसी के लिए वक़्त कहाँ जब कोई शहर में हो!

भले ही फूस के छप्पर, दीवारें  क्यों न हों मग़र;
बादशाह होता है,जब आदमी खुद के घर में हो! #गाँव #झोपड़ी #छप्पर
दिन-रात, सुबह-शाम  या  के  दोपहर  में  हो!
किसी के लिए वक़्त कहाँ जब कोई शहर में हो!

भले ही फूस के छप्पर, दीवारें  क्यों न हों मग़र;
बादशाह होता है,जब आदमी खुद के घर में हो! #गाँव #झोपड़ी #छप्पर