Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज बहुत दिनो बाद कोई याद आया है जैसे बरसो बाद बरसा

आज बहुत दिनो बाद कोई याद आया है
जैसे बरसो बाद बरसात आया हैं 
हम तो पतझड़ का शाख समझ रहे थे खुद को 
रुत बदले तो बाहर आया हैं
एक अंधेरे कोठरी में दियासलाई की तलाश थी 
 देखो खुद -ब -खुद चलकर आफताब आया हैं
कोई उस गहराई तक पहुंचता क्यों नही 
जितना अंदर तक वो उतर आया हैं 
मैंने बहुत मुश्किल से छुड़ाया है दामन उससे 
मीठा लहजा लेके फिर कोई जालसाज आया हैं
फरेबी दुनिया, फरेबी लोग ,इश्क फरेबी 
लेकिन हर झूठे वादे पर ऐतबार हर बार आया हैं।

©Zainab siddiqui #Jalsaz 

#WritersSpecial
आज बहुत दिनो बाद कोई याद आया है
जैसे बरसो बाद बरसात आया हैं 
हम तो पतझड़ का शाख समझ रहे थे खुद को 
रुत बदले तो बाहर आया हैं
एक अंधेरे कोठरी में दियासलाई की तलाश थी 
 देखो खुद -ब -खुद चलकर आफताब आया हैं
कोई उस गहराई तक पहुंचता क्यों नही 
जितना अंदर तक वो उतर आया हैं 
मैंने बहुत मुश्किल से छुड़ाया है दामन उससे 
मीठा लहजा लेके फिर कोई जालसाज आया हैं
फरेबी दुनिया, फरेबी लोग ,इश्क फरेबी 
लेकिन हर झूठे वादे पर ऐतबार हर बार आया हैं।

©Zainab siddiqui #Jalsaz 

#WritersSpecial