बरसात में आज फिर उसकी याद आई है या यूं कहूं कि बरसात अपने साथ ये सौगात लाई है कुछ पुराने दर्द फिर से ताजा हुए है ये बरसात मुझे फिर एक बार सताने आई है!! ये सर्द हवाएं एक खूबसूरत हसीना वो भीगी हुई लड़की और बारिश में पसीना उसके होंठो की कपकपी और बालों से टपकती बौछार मुझे याद आ रहा है वो सितंबर का महीना!! एकदम ऐसी ही तो हुई उस दिन बरसात थी वो हसीना भी उस दिन मेरे साथ थी खूब भीगे थे उस रोज मस्ती में हम और प्यार में हमारी वो आखिरी मुलाकात थी!! जाने किसकी नजर मेरे प्यार को लगी मूझपे जान लुटाने वाली ही मुझे छलने लगी उसके धोखे ने तोड़ा मुझे इस कदर हर हसीना अब फरेबी सी लगने लगी!! टूटकर मैं था एकदम बिखर सा गया जिक्र उसका हुआ मैं जिधर भी गया बरसात ने आज फिर ये सितम कर दिया उसकी याद में फिर से हूं मैं जैसे ठहर सा गया!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi #लाइक_सेयर_फोलो_प्लीज #alone_forever