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"पलकों की दहलीज पर आ गए ll आंसू अपनी ही जीत पर आ

"पलकों की दहलीज पर आ गए ll
 आंसू अपनी ही जीत पर आ गए ll

 बाहर से मुस्कुराते हुए लोग, 
 भीतर से चीख कर आ गए ll

 भीड़ में भी जब खुदबखुद बहने लगे आंसु, 
 हम छिपते-छिपाते आंखें मींच कर आ गए ll

 आंसुओं के साथ सारे ख्वाब, 
 थोडे़-थोड़े पसीज कर आ गए ll

 आंखें मूंदी तो बिछड़े लोग मिले,
 हम उनसे बातचीत कर आ गये ll"

©Aditya kumar prasad
  मेरे अनकहे अल्फाज़

मेरे अनकहे अल्फाज़ #Shayari

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