खुशी का गांव उजाड़ कर,गम के शहर में हम निखर कर बैठे है गुमनाम तुमने तो भुला दिया मुझको ,हम तुम्हारा जीकर कर बैठे है आकर प्रदीप को बाहों में समेट लो , अब हम टूटके बिखर कर बैठे है ©Pardeep Charan Haryanavi बिखर बैठे है