जख्म खुद को इतने गहरे दे दिए रूह भी है कांप उठी इन्हे सीते सीते, दश्त-ए-जुदाई हमे बख्शने वाले गम-ए-ज़हर के सारे प्याले पी लिए, दिल-ए-खुश-फहम से भी यह ख्याल नही मिटा पाए, तुम्हे है हमसे मोहब्बत शायद इसलिए सितम तुमने कम ही किए। नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳