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जख्म खुद को इतने गहरे दे दिए रूह भी है कांप उठी इन

जख्म खुद को इतने गहरे दे दिए
रूह भी है कांप उठी इन्हे सीते सीते,

दश्त-ए-जुदाई हमे बख्शने वाले 
गम-ए-ज़हर के सारे प्याले पी लिए,

दिल-ए-खुश-फहम से भी यह ख्याल नही मिटा पाए,
तुम्हे है हमसे मोहब्बत शायद इसलिए सितम तुमने कम ही किए। नमस्कार लेखकों।😊

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जख्म खुद को इतने गहरे दे दिए
रूह भी है कांप उठी इन्हे सीते सीते,

दश्त-ए-जुदाई हमे बख्शने वाले 
गम-ए-ज़हर के सारे प्याले पी लिए,

दिल-ए-खुश-फहम से भी यह ख्याल नही मिटा पाए,
तुम्हे है हमसे मोहब्बत शायद इसलिए सितम तुमने कम ही किए। नमस्कार लेखकों।😊

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