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तुम अर्धसत्य कहते क्यों हो उसके रौ में बहते क्यों

तुम अर्धसत्य कहते क्यों हो
उसके रौ में बहते क्यों हो
खाली खोखा को लेकर के
मैदाने जंग लड़ते क्यों हो
तुम अर्धसत्य.....
सच घटता नहीं न बढ़ता है
फिर अंतर्मन जलते क्यों हो
जो हो तुम वही कहो खुल के
कुछ कम ज्यादा गढ़ते क्यों हो
तुम अर्धसत्य.....
लाखों का भांडा फूट गया
फिर मतिभ्रम में रहते क्यों हो
कर्म तले फल मिलता है
दावा निष्फल करते क्यों हो
तुम अर्धसत्य.....
ये दुनियां चतुर मूर्ख तुम हो
स्वप्निल जीवन रखते क्यों हो
मैं "सूर्य" उजाला दे तो रहा
फिर इधर उधर गिरते क्यों हो
तुम अर्धसत्य......

©R K Mishra " सूर्य "
  #तुम अर्धसत्य  Suresh Gulia Captain Priyanshu Sethi Ji  Satyajeet Roy Ashutosh Mishra