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मुनासिफ नही हर डगर में तू है, कैसे कहूँ कि हर सफ़र

मुनासिफ नही हर डगर में तू है,
कैसे कहूँ कि हर सफ़र में तू है

वो मंदिर भी तेरा, शिवालय भी तेरा,
उस बड़े से पीपल के शज़र में तू है,,

मैं मोहित हूँ मनके कि माया पे तेरी,
मेरी इन तरसती नज़र में तू है,,
                         मोहित•°● #Har dagar me tu hai...
#shore
मुनासिफ नही हर डगर में तू है,
कैसे कहूँ कि हर सफ़र में तू है

वो मंदिर भी तेरा, शिवालय भी तेरा,
उस बड़े से पीपल के शज़र में तू है,,

मैं मोहित हूँ मनके कि माया पे तेरी,
मेरी इन तरसती नज़र में तू है,,
                         मोहित•°● #Har dagar me tu hai...
#shore