मोगैम्बो खुश हुआ पढ़ लिखकर लाट साहब बनना चाहता था मोगैम्बो। विश्वविद्यालय चला गया। एक अच्छे दिन जब उसने अपना बेहतर मिजाज़ व्यक्त करना चाहा तो शब्दों में उलझकर रह गया। माहौल ऐसा बन गया था कि न तो मोगैम्बो खुश हो सकता था, न ही मोगैम्बो प्रसन्न हो सकता था। ख़ाक मोगैम्बो खुश हुआ होगा। ©Sukhdev भाषाई द्वन्द्व और सिसकती अभिव्यक्ति। #Mogambo