चारों तरफ झूठ ही झूठ फैलाया जा रहा है अपनों के बीच आग ही आग लगाया जा रहा है ये कैसा भ्रम फैलाया है हर तरफ उन्होंने सच लोगों को झूठे मक्कारों से मिलाया जा रहा है जिस कश्ती में बैठे उसी में आग लगा दी है झूठी बातों पर सबको मिलकर हंसाया जा रहा है दूर के ढोल सुहावने लगते है सभी को यहां समन्दर किनारे खड़े होकर सबको दिखाया जा रहा है अपनी मक्कारी पर पर्दा डालने की कोशिश है सच को छुपाकर झूठ दिखाकर बहलाया जा रहा है कोशिश हर दम है लोगों को मुर्ख बनाने की आरिफ झूठ बोलकर लोगों को ललचाया जा रहा है चारों तरफ झूठ ही झूठ फैलाया जा रहा है अपनों के बीच आग ही आग लगाया जा रहा है ये कैसा भ्रम फैलाया है हर तरफ उन्होंने सच लोगों को झूठे मक्कारों से मिलाया जा रहा है जिस कश्ती में बैठे उसी में आग लगा दी है झूठी बातों पर सबको मिलकर हंसाया जा रहा है