बड़ों जैसी बातें बचपन से हीं करती आ रही हूं परिणाम ये है की सुलझी हुई जिंदगी में उलझती जा रही हूं मेरा किरदार मुझे खुद कुछ खास पसंद नही आ रहा है कारण ये है की अपनी हीं ख्वाहिशों को अंदर हीं अंदर मार रही हूं। ©Pinki Singh #poem #Nojoto #Life #शायरी