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धुन तेरे बंसी की मतवाली है मोहन, हर रोज़ मैं खिंचे

धुन तेरे बंसी की मतवाली है मोहन,
हर रोज़ मैं खिंचे चली आती हूँ।
जानती हूं तुझसे मिलकर जाना है,
इसलिए आंसू पलकों में छुपाती हूँ।
तुम सह नही पाओगे मेरी वो दशा,
दिल सदैव ये मेरा जानता है।
होठों में लिए मुस्कान मैं सदा,
खुद को ही बेवजह समझाती हूँ। धुन बंशी की...
धुन तेरे बंसी की मतवाली है मोहन,
हर रोज़ मैं खिंचे चली आती हूँ।
जानती हूं तुझसे मिलकर जाना है,
इसलिए आंसू पलकों में छुपाती हूँ।
तुम सह नही पाओगे मेरी वो दशा,
दिल सदैव ये मेरा जानता है।
होठों में लिए मुस्कान मैं सदा,
खुद को ही बेवजह समझाती हूँ। धुन बंशी की...