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कैप्शन में पढ़िए । #फ़ीकी _चाय चाय बस चाय नही होती ख

कैप्शन में पढ़िए ।
#फ़ीकी _चाय चाय बस चाय नही होती खुशी कि अकेलेपन की साथी भी होती है ।याद है मुझे जब पहली बार हम गांधी मैदान में चाय पहली बार नीबू वाली चाय पिया था ।
बस वो चाय की कुल्हड़ में बस चाय न थी ।
बल्कि उसमे भरा था इश्क़ समर्पण और एक दूसरे समा जाने वाला भाव चाय तो हम पी रहे थे पर हम एक दूसरे में आंख से हौले से दिल मे उतर रहे थे ।

बस आज ये कुल्हड़ अधूरा है । 
तुम बिन इसकी मिठास भी फीकी सी लगती है ।
क्योंकि तुमहारे होने पर ये भी इठलाती है ।
तुम न होतो ये भी उदास हो जाती है ।
कैप्शन में पढ़िए ।
#फ़ीकी _चाय चाय बस चाय नही होती खुशी कि अकेलेपन की साथी भी होती है ।याद है मुझे जब पहली बार हम गांधी मैदान में चाय पहली बार नीबू वाली चाय पिया था ।
बस वो चाय की कुल्हड़ में बस चाय न थी ।
बल्कि उसमे भरा था इश्क़ समर्पण और एक दूसरे समा जाने वाला भाव चाय तो हम पी रहे थे पर हम एक दूसरे में आंख से हौले से दिल मे उतर रहे थे ।

बस आज ये कुल्हड़ अधूरा है । 
तुम बिन इसकी मिठास भी फीकी सी लगती है ।
क्योंकि तुमहारे होने पर ये भी इठलाती है ।
तुम न होतो ये भी उदास हो जाती है ।

चाय बस चाय नही होती खुशी कि अकेलेपन की साथी भी होती है ।याद है मुझे जब पहली बार हम गांधी मैदान में चाय पहली बार नीबू वाली चाय पिया था । बस वो चाय की कुल्हड़ में बस चाय न थी । बल्कि उसमे भरा था इश्क़ समर्पण और एक दूसरे समा जाने वाला भाव चाय तो हम पी रहे थे पर हम एक दूसरे में आंख से हौले से दिल मे उतर रहे थे । बस आज ये कुल्हड़ अधूरा है । तुम बिन इसकी मिठास भी फीकी सी लगती है । क्योंकि तुमहारे होने पर ये भी इठलाती है । तुम न होतो ये भी उदास हो जाती है । #story #फ़ीकी_चाय_तुम_बिन