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☺जिंदगी के वो दिन ☺ (कविता) याद आ गया फिर,गुजरा

☺जिंदगी के वो दिन ☺
(कविता)

 याद आ गया फिर,गुजरा हुआ,अनमोल बो समय।
 जाया करता था ,"विद्यालय" मुस्कुराकर के सदैव।। 
मिलता था,मित्रों से हसकर बातें होती थी,,
 कुछ उनकी सुनना, कुछ अपनी कहना, बो भी क्या मुलाकातें होती थी।। 
जिया था जिंदगी का अनमोल बो समय..।। 
जाया करता विद्यालय, मुस्कुराकर के सदैव ,ओ मुस्कुराकर के सदैव।।

याद आता है,अध्यापकों का बो,हरपल हमको समझाना, 
कैसे  तुमको जीवन को है आगे ले जाना।। 
छोड़  दुर्गुड़ों को, कैसे हमको मंजिल है, पाना। 
उदास कर देते है,आज फिर बो लम्हें हमें..।। 
याद आ गया फिर गुजरा हुआ,अनमोल बो समय, अनमोल बो समय।। 

कैसे बापस लाउँ बो दिन,साथ बैठ जब,मित्रों के  भोजन किया करते थे,, 
हो फिर चाहें, टिफिन किसी का हक उस पर अपना ही जताया करते थे।। 
ला देता है,मुस्कान उदास चहरे पर भी, संगीन बो समय। 
जाया करता था,विद्यालय मुस्कुराकर के सदैव..
याद आ गया...हो याद आ गया...

होता था,प्रसंन छुपा करके जब अध्यापकों से गृहकार्य भी विद्यालय मे किया करते थे।
भूल सबकुछ उस समय,अपनी ही मस्ती मैं जिया करते थे।। 
खो दिया है,हमने अब,अद्भुत बो समय,,
जाया करते थे,विद्यालय मुस्कराकर के सदैव, मुस्कराकर के सदैव।।।

होती थी,जब परीक्षा हंसकर के दिया करते थे। करते थे इंतज़ार, परीक्षा के परिणामों का,,
काबिलियत को अपनी पहले ही जान लिया करते थे।। 
नाम शामिल था, मेरा भी उनमें..,इनाम जिन्हें मिला करते थे।। 
याद आ गया,याद आ गया ....

जिक्र है,उनका भी जिनसे(लड़कियों) नजरों को चुराया करते थे। 
छोड़ क्लास वजह से जिनकी, बाहर निकल जाया करते थे।। 
देख सामने आते उनको, नज़रों को हम अपनी झुका लिया करते थे।। 
होती थी,प्रतिस्पर्दा जिनसे सदैव ही हमें....
याद आ गया फिर, गुजरा हुआ आज हरपल हमें,,हो हरपल फिर हमें।। 

करता है,दिल कि इस जीवनशैली को जीवन मैं ही शामिल कर लूँ।। 
पा लूँ,हरपल फिर से, खो आया हूँ पीछे जिसको,,, 
मिल जाये वो खुशियों का खजाना,लूटा था,जिसने मुझको।।
पा लिया है,सबकुछ गुजार कर उन्हें (वो दिन)
याद आ गया फिर,गुजरा हुआ अनमोल बो समय,,,
जाया करते थे विद्यालय मुस्कराकर के सदैव,,
मुस्कराकर के सदैव....।।

............Vikas yadav missing school days😘😘😍😍
#reading
☺जिंदगी के वो दिन ☺
(कविता)

 याद आ गया फिर,गुजरा हुआ,अनमोल बो समय।
 जाया करता था ,"विद्यालय" मुस्कुराकर के सदैव।। 
मिलता था,मित्रों से हसकर बातें होती थी,,
 कुछ उनकी सुनना, कुछ अपनी कहना, बो भी क्या मुलाकातें होती थी।। 
जिया था जिंदगी का अनमोल बो समय..।। 
जाया करता विद्यालय, मुस्कुराकर के सदैव ,ओ मुस्कुराकर के सदैव।।

याद आता है,अध्यापकों का बो,हरपल हमको समझाना, 
कैसे  तुमको जीवन को है आगे ले जाना।। 
छोड़  दुर्गुड़ों को, कैसे हमको मंजिल है, पाना। 
उदास कर देते है,आज फिर बो लम्हें हमें..।। 
याद आ गया फिर गुजरा हुआ,अनमोल बो समय, अनमोल बो समय।। 

कैसे बापस लाउँ बो दिन,साथ बैठ जब,मित्रों के  भोजन किया करते थे,, 
हो फिर चाहें, टिफिन किसी का हक उस पर अपना ही जताया करते थे।। 
ला देता है,मुस्कान उदास चहरे पर भी, संगीन बो समय। 
जाया करता था,विद्यालय मुस्कुराकर के सदैव..
याद आ गया...हो याद आ गया...

होता था,प्रसंन छुपा करके जब अध्यापकों से गृहकार्य भी विद्यालय मे किया करते थे।
भूल सबकुछ उस समय,अपनी ही मस्ती मैं जिया करते थे।। 
खो दिया है,हमने अब,अद्भुत बो समय,,
जाया करते थे,विद्यालय मुस्कराकर के सदैव, मुस्कराकर के सदैव।।।

होती थी,जब परीक्षा हंसकर के दिया करते थे। करते थे इंतज़ार, परीक्षा के परिणामों का,,
काबिलियत को अपनी पहले ही जान लिया करते थे।। 
नाम शामिल था, मेरा भी उनमें..,इनाम जिन्हें मिला करते थे।। 
याद आ गया,याद आ गया ....

जिक्र है,उनका भी जिनसे(लड़कियों) नजरों को चुराया करते थे। 
छोड़ क्लास वजह से जिनकी, बाहर निकल जाया करते थे।। 
देख सामने आते उनको, नज़रों को हम अपनी झुका लिया करते थे।। 
होती थी,प्रतिस्पर्दा जिनसे सदैव ही हमें....
याद आ गया फिर, गुजरा हुआ आज हरपल हमें,,हो हरपल फिर हमें।। 

करता है,दिल कि इस जीवनशैली को जीवन मैं ही शामिल कर लूँ।। 
पा लूँ,हरपल फिर से, खो आया हूँ पीछे जिसको,,, 
मिल जाये वो खुशियों का खजाना,लूटा था,जिसने मुझको।।
पा लिया है,सबकुछ गुजार कर उन्हें (वो दिन)
याद आ गया फिर,गुजरा हुआ अनमोल बो समय,,,
जाया करते थे विद्यालय मुस्कराकर के सदैव,,
मुस्कराकर के सदैव....।।

............Vikas yadav missing school days😘😘😍😍
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