टुकड़े हज़ार आइने के यूं ज़मीं पे बिखर पड़े थे ; मैं मर गया था और शमशान लेके मुझे लोग निकल पड़े थे , अच्छा होता की तुम मुझसे दिल ए गुफ्तगू कर लेते.. मैं तुम्हारे कंधे क्या लगा तुम तो बस रो पड़े थे । - राहुल दूबे तुम तो बस... #nojotopoetry #shayri #hkikat