इंसाफ की खातिर इंसाफ की खातिर अब हर बहू-बेटी को खुद से ही तैयार और सक्षम होना होगा। ना बनने पाए अब कोई निर्भया, कोई निशा, कोई आयशा, अब खुद को ही लड़ना होगा। हर दिन की बात हो गई है यह, बेटियों की इज्जत जैसे हैवानों की सौगात हो गई है। हर दिन ही कहीं ना कहीं कोई मासूम बहन बेटी शैतानों का शिकार हो जाती है। इंसाफ की खातिर कब तक जाति धर्म में, गुनहगारों को बांटकर बचाया जाता रहेगा। कब तक धरना, प्रदर्शन, चीखने- चिल्लाने का शोर दुनियां के कोनों में गूंजता रहेगा। इंसाफ की खातिर दर-दर भटकते भाई बंधु ना कोई दर्द समझता, ना इंसाफ मिलता है। बीच चौराहे पर मार दो गोली,लगा दो फांसी ऐसे सारे ही नीच हैवानियत के दरिंदों को। यही सच्चा इंसाफ होगा सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन मासूमों की चीखों- चित्कारों को। हर बेटी दुर्गा, काली बन राक्षसों का संहार करेगी तभी बचा पायेगी अपनी आबरू को। -"Ek Soch" #कोराकागज #Collabwithकोराकागज #कोराकागजमहाप्रतियोगिता #yqbaba #yqdidi