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दिल की मस्जिद मे इबादत उसकी अब भी रोज होती है ख्वा

दिल की मस्जिद मे इबादत उसकी अब भी रोज होती है
ख्वाबो मे उसे ढूँढने की हसरत अब भी रोज होती है
शायद ही इल्म हो उसे कि मुअज्जिन है उसकी आँखे
जिनसे मेरी फजर की पहली अजान अब भी रोज होती है।।

नमाज़ मे पढ़ने को वही सूरत अब भी रोज होती है
उसकी ही मुस्कुराहट से मेरी ईद वाली सुबह अब भी रोज होती है
कब से भेज रखा है बुलावा उसे इफ्तार पर आने को
नहीं तो रमजान मे इफ्तार वाली दावत अब भी रोज होती है।

अब ये रोजे खत्म करा दे मेरे मौला
इक बार उसके दीद वाली ईद करा दे मौला
पता नही कब इस जिस्म से यह रूह रुखसत हो जाये
धड़कनो से दिल की अदावत अब भी रोज होती है ।

तब की तरह अब भी है अरमान तेरी नजरे पढ़े ये पैगाम मोहब्बत के 
वरन्   कागजो   पर   लफ्जो  की   सजावट  अब  भी  रोज  होती  है ।। #yqbaba #ywdidi #yqquotes #love #lovequotes #poetry #shayari #yqlove
दिल की मस्जिद मे इबादत उसकी अब भी रोज होती है
ख्वाबो मे उसे ढूँढने की हसरत अब भी रोज होती है
शायद ही इल्म हो उसे कि मुअज्जिन है उसकी आँखे
जिनसे मेरी फजर की पहली अजान अब भी रोज होती है।।

नमाज़ मे पढ़ने को वही सूरत अब भी रोज होती है
उसकी ही मुस्कुराहट से मेरी ईद वाली सुबह अब भी रोज होती है
कब से भेज रखा है बुलावा उसे इफ्तार पर आने को
नहीं तो रमजान मे इफ्तार वाली दावत अब भी रोज होती है।

अब ये रोजे खत्म करा दे मेरे मौला
इक बार उसके दीद वाली ईद करा दे मौला
पता नही कब इस जिस्म से यह रूह रुखसत हो जाये
धड़कनो से दिल की अदावत अब भी रोज होती है ।

तब की तरह अब भी है अरमान तेरी नजरे पढ़े ये पैगाम मोहब्बत के 
वरन्   कागजो   पर   लफ्जो  की   सजावट  अब  भी  रोज  होती  है ।। #yqbaba #ywdidi #yqquotes #love #lovequotes #poetry #shayari #yqlove