ये जो राह साथ आते ही मिले हो ख्वाब है क्या न कभी जिया है किस्मत तो बता न दाव है क्या वो जो लहर डगमगाती है हमीं को पोखरों में वो समुंदरों से भी पार लगा दे नाव है क्या ये खिला गुलाब खुशबू दे रहा इसे न तोड़ो वो गुलाब सूख कर ठीक हो जाय घाव है क्या नहीं चाहतें कोई खेल उसी हार जीत का यूं हो गये पड़ाव के बाद वहाँ पड़ाव है क्या वो जो इम्तिहान की बात लगी हमें हमारी वो हसीन सूरतें उन की भला किताब है क्या बह्र- 1121 2122 1121 2122 #ghazal #shayari #poetry #thoughts #feel