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कुछ टुकड़े और जोड़े है नज़र फरमाइयेगा वो नजूमी तो

कुछ टुकड़े और जोड़े है नज़र फरमाइयेगा 

वो  नजूमी  तो  था,  मगर  इक  बाप  भी  था
अपने  बच्चों  को  वक़्त  अच्छा  बताता  था ।

बड़ा  भोला  था  नजूमी  पर  उस्ताद निकला
ख़ुद  के  सितारों  को  बच्चों  से  छिपाता था ।

सितारे   जो  चलते  , फिर  घर  बदल  जाते 
नजूमी  घरों  का  बदलना  बूझ   जाता   था  ।

उंगलियों  पर  गिनता , सितारे  मेरे  - तेरे
काग़ज़  पर  क़लम  से  आयत  बनाता  था ।

बुदबुदाता  मुस्कुराता  सबकी   क़िस्मत  से
आड़ी  तिरछी  लकीरें  आयत  पर  चलाता  था ।

अपने  राहु - केतु  ,मंगल - वंगल ,  गुरु - शुरू
सबको  बैठा  के  , खानों  को   घर  बुलाता  था ।

                         #नजूमी
©️✍️ #सतिन्दर #सतिन्दर
कुछ टुकड़े और जोड़े है नज़र फरमाइयेगा 

वो  नजूमी  तो  था,  मगर  इक  बाप  भी  था
अपने  बच्चों  को  वक़्त  अच्छा  बताता  था ।

बड़ा  भोला  था  नजूमी  पर  उस्ताद निकला
ख़ुद  के  सितारों  को  बच्चों  से  छिपाता था ।

सितारे   जो  चलते  , फिर  घर  बदल  जाते 
नजूमी  घरों  का  बदलना  बूझ   जाता   था  ।

उंगलियों  पर  गिनता , सितारे  मेरे  - तेरे
काग़ज़  पर  क़लम  से  आयत  बनाता  था ।

बुदबुदाता  मुस्कुराता  सबकी   क़िस्मत  से
आड़ी  तिरछी  लकीरें  आयत  पर  चलाता  था ।

अपने  राहु - केतु  ,मंगल - वंगल ,  गुरु - शुरू
सबको  बैठा  के  , खानों  को   घर  बुलाता  था ।

                         #नजूमी
©️✍️ #सतिन्दर #सतिन्दर