खुद को मर्द कहते हैं जिस के गर्भाशय से अस्त्तिव में आए उसे ही कलंकित करते हैं खुद को मर्द कहते हैं इज्जत करना सीखा नही बात दोस्ती और बराबरी की करते हैं हर मोड़ पे किया तिरस्कृत घर मे भी उपेक्षा करते हैं खुद को मर्द करते हैं गलती खुद भी करते हैं और गालियाँ माँ बहन की देते हैं खुद को मर्द कहते हैं जरा सी निंदा कर दो तो अपनी जात दिखा देते हैं हाथ उठाना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं खुद को मर्द कहते हँसना दूसरों की बहन बेटियों पे खुद की पहरे रखते हैं जो इज्जत जननी की नही करता वो मर्द नही हो सकता मुझे वो नामर्द लगते है खुद को ऐसे पुरुष मर्द कहतें है By sarika pal #khud ko mard kahte h