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सुनो प्रिये अभी का जो नजारा है बस यही पल हमारा है

सुनो प्रिये
अभी का जो नजारा है
बस यही पल हमारा है

टुकड़े टुकड़े लम्हों मे
तरसती निगाहों का बसेरा है

कल की बात हुई पूस की रात
जीने की वजह है आज की रात 

साँसे थम जाना रूधीर शांत हो जाना 
ये रोजमर्रा जिंदगी के घटक हैं 

लाओ हाथ बढ़ाओ, थाम लेता हूं मैं 
जब तक साँसों का कतरा साथ दे जान

©Rumaisa
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