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होंने से पहले दुआएं मांग लेना इन्सान की फ़ितरत बद

होंने से पहले
दुआएं मांग लेना
इन्सान की फ़ितरत 
बदल कर भेजना कोरोना की इस जनता जटिल और सरकार सुलभ बीमारी में हर कोई गरम - गरम बातें कर रहा है। इन लोगों ने कहीं ना कहीं से या हर संभव तरीके से पता लगा कर कोरोना से बचाने वाली घरेलू नुस्खों की पूरी की पूरी सूची बना रखी है। स्वयंभू फार्मेसी वाले खुद इन्हीं नुस्खों को भुना रहे हैं।

हमें भी एक हमारे परिचित ने आकर सलाह दी कि आप गर्म पानी में लौंन्ग , इलायची,  धनिया,  पुदीना,  नमक , गुड़,  चीनी , गन्ना, गेहूं , धान , दलहन तिलहन , ईट -  पत्थर,  पेड़ - पौधे , मशीनों के कलपुर्जे , जमीन - आसमान आदि आदि अनादि डालकर पिएंगे तो तुरंत लाभ होगा। उन्होंने इस विधि को अचूक रामबाण बताया,  कई कोरोना के मुर्दों को श्मशान घाट तक से जिन्दा कर देने की बात ज्योंही कही , त्योंही यह सुनकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई , मानो कलयुग में कोई तारणहार मिल गया हो।

हम फिजूल में ही फिलासफी और साइकोलॉजी में जीवन की गुत्थियाँ सूँघ रहे थे , मैं अपनी ही दुनिया में खो गया। परिचित मुझे बनाने की विधि , लाभ , परहेज,  बदहजमी,  कब्ज,  बवासीर जाने क्या- क्या बताते रहे। मैं भौंचक्का होकर सुनता रहा ।
अंत में उन्होंने समापन करते हुए जयउद्घोष किया कि आपका बचना लगभग तय है , सुनते ही मेरा हृदय पुलकित हो उठा , आत्मा झनझना उठी और रोम - रोम उल्लासमय हो गया ।
ताज्जुबता में फटी आंखों से खून बहने लगा , मैं उठा और दाएं - बाएं देखकर परिचित के चरणों पर लोट गया।
होंने से पहले
दुआएं मांग लेना
इन्सान की फ़ितरत 
बदल कर भेजना कोरोना की इस जनता जटिल और सरकार सुलभ बीमारी में हर कोई गरम - गरम बातें कर रहा है। इन लोगों ने कहीं ना कहीं से या हर संभव तरीके से पता लगा कर कोरोना से बचाने वाली घरेलू नुस्खों की पूरी की पूरी सूची बना रखी है। स्वयंभू फार्मेसी वाले खुद इन्हीं नुस्खों को भुना रहे हैं।

हमें भी एक हमारे परिचित ने आकर सलाह दी कि आप गर्म पानी में लौंन्ग , इलायची,  धनिया,  पुदीना,  नमक , गुड़,  चीनी , गन्ना, गेहूं , धान , दलहन तिलहन , ईट -  पत्थर,  पेड़ - पौधे , मशीनों के कलपुर्जे , जमीन - आसमान आदि आदि अनादि डालकर पिएंगे तो तुरंत लाभ होगा। उन्होंने इस विधि को अचूक रामबाण बताया,  कई कोरोना के मुर्दों को श्मशान घाट तक से जिन्दा कर देने की बात ज्योंही कही , त्योंही यह सुनकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई , मानो कलयुग में कोई तारणहार मिल गया हो।

हम फिजूल में ही फिलासफी और साइकोलॉजी में जीवन की गुत्थियाँ सूँघ रहे थे , मैं अपनी ही दुनिया में खो गया। परिचित मुझे बनाने की विधि , लाभ , परहेज,  बदहजमी,  कब्ज,  बवासीर जाने क्या- क्या बताते रहे। मैं भौंचक्का होकर सुनता रहा ।
अंत में उन्होंने समापन करते हुए जयउद्घोष किया कि आपका बचना लगभग तय है , सुनते ही मेरा हृदय पुलकित हो उठा , आत्मा झनझना उठी और रोम - रोम उल्लासमय हो गया ।
ताज्जुबता में फटी आंखों से खून बहने लगा , मैं उठा और दाएं - बाएं देखकर परिचित के चरणों पर लोट गया।