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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होत

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
अपना दिल भी टटोल कर देखो
फासला बेवजह नही होता
कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता जी बहुत चाहता है सच बोलें क्या करें हौसला नहीं होता अपना दिल भी टटोल कर देखो फासला बेवजह नही होता कोई काँटा चुभा नहीं होता दिल अगर फूल सा नहीं होता #बशीर_बद्र

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