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मैं खिला था एक फूल सा, मुझे धूल में, वो मिला गई

मैं खिला था एक फूल सा, 
मुझे धूल में, वो  मिला गई .
मेरी चाहते, मेरी मंज़िलें ,
वो सब मुझे भुला गयी .
मैं ढूंढता फिरा, बाहार को ,
वो सब, धुँए में उड़ा गई .
वो हुस्न था ,मैं इश्क़ था, 
मुझे आग में, जला गई .
मैं ठहरा सा, समन्दर था ,
वो मुझमें, यूँ समा गई .
ख़ुद तो थी ,राख वो ,
मुझे ख़ाक में, मिला गई .

©Dr Manju Juneja #मैं  #फूल #धूल #समन्दर #ख़ाक #इश्क़ #ढूंढता #हुस्न #नज़्म #nojotohindi
मैं खिला था एक फूल सा, 
मुझे धूल में, वो  मिला गई .
मेरी चाहते, मेरी मंज़िलें ,
वो सब मुझे भुला गयी .
मैं ढूंढता फिरा, बाहार को ,
वो सब, धुँए में उड़ा गई .
वो हुस्न था ,मैं इश्क़ था, 
मुझे आग में, जला गई .
मैं ठहरा सा, समन्दर था ,
वो मुझमें, यूँ समा गई .
ख़ुद तो थी ,राख वो ,
मुझे ख़ाक में, मिला गई .

©Dr Manju Juneja #मैं  #फूल #धूल #समन्दर #ख़ाक #इश्क़ #ढूंढता #हुस्न #नज़्म #nojotohindi