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चित्र कुछ कह रहा है।

चित्र कुछ कह रहा है।                                                            ।                                    यह भित्ति पर लगा जो,          चित्र कुछ कह रहा है।            भोलेपन की सहज छवि यह और बंधे केश देखो।           आज व्यथित,चिंतन करता तुम कवि का वेश देखो।     उस मुख पर मुस्कान कोई कहीं पर छिपी हुई है।      और इन आंखों से बहता    अश्रु कुछ कह रहा है।      यह भित्ति पर लगा जो     चित्र कुछ के रहा है          हाय! कल जो लिया आलंबन आज कितना दुखी करता आज भी हूं कल सा विवश देखकर हूं आहें भरता   जीवन ने था क्या बचाया।    जो अतिरिक्त इसके भी करता                                 और उस चित्र से नहीं , मुझसे पूछकर देखो तो                यह  कवि कितना सह रहा है यह भित्ति पर लगा जो।    चित्र कुछ कह रहा है

©Suyash Shukla अपने बचपन के चित्र पर लिखी एक कविता चित्र कुछ कह रहा है

#MumbaiIndians
चित्र कुछ कह रहा है।                                                            ।                                    यह भित्ति पर लगा जो,          चित्र कुछ कह रहा है।            भोलेपन की सहज छवि यह और बंधे केश देखो।           आज व्यथित,चिंतन करता तुम कवि का वेश देखो।     उस मुख पर मुस्कान कोई कहीं पर छिपी हुई है।      और इन आंखों से बहता    अश्रु कुछ कह रहा है।      यह भित्ति पर लगा जो     चित्र कुछ के रहा है          हाय! कल जो लिया आलंबन आज कितना दुखी करता आज भी हूं कल सा विवश देखकर हूं आहें भरता   जीवन ने था क्या बचाया।    जो अतिरिक्त इसके भी करता                                 और उस चित्र से नहीं , मुझसे पूछकर देखो तो                यह  कवि कितना सह रहा है यह भित्ति पर लगा जो।    चित्र कुछ कह रहा है

©Suyash Shukla अपने बचपन के चित्र पर लिखी एक कविता चित्र कुछ कह रहा है

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अपने बचपन के चित्र पर लिखी एक कविता चित्र कुछ कह रहा है #MumbaiIndians