वो पुष्प सारी रैन जागा सिसक सिसक रोता रहा विछोह में। सुबह की प्रतीक्षा में कुहासा, हवाएँ,शीत सब कुछ मुस्कुराकर स्वर्ण पदकों की तरह अपने सीने में लगाए गर्वित होता रहा; क्यों ,केवल प्रेम के लिए। प्रेम सर्वोच्च भावना है जो अपने साथ अन्य भावनाओं को भी जन्म देती है। सुबह की किरणें आयी और... उसे आगोश में भरकर प्रेम करती रही और वो पुष्प प्रेम में जी ता रहा। प्रेम दोनों को सँवार रहा था... #अनाम_ख़्याल #यूँ_ही #अनाम_प्रेम