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तुमने अपने सपनों की राहें ख़ुद सजाई।हसरतों की चाद

 तुमने अपने सपनों की राहें ख़ुद सजाई।हसरतों की चादर अपनी आंखों को तुमने ख़ुद उढ़ाई।
 ख्वाबों का कारवां तुमने सजाया, सारा संसार तुमने ख़ुद बनाया।
 बताओ ज़रा मैं शामिल थी कहां?   सब तुमने तय किया ? माना कि तुम्हारी हर  बात में मैं थी,
 लेकिन सारे फैसले   मेरे लिए तुमने  लिए,....
और तुम कहते हो मैं आजाद अच्छी लगती हूं।

©Ruksar Bano
  #patriarchy #insecurelove