हानि-लाभ जय-पराजय, तेरे सीने में शूल सा धसा। "तुझे क्या मिला",मुझे क्या मिला, बस यही तेरे चित्त में बसा। गणित जीवन का छोड़कर, निहित स्वार्थों से मुँह मोड़कर। कर्म कर कर्मयोगी की भांति, दिव्यता से जा मृत्यु चादर ओढ़कर। न कर सका तो ये तेरी हार है निष्काम कर्म ही जीवन का सार है। #तुम्हेंक्यामिला #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yq_poem #hkkhindipoetry #आशु_की_कलम_से #read_in_caption हानि-लाभ जय-पराजय, तेरे सीने में शूल सा धसा। "तुझे क्या मिला",मुझे क्या मिला, बस यही तेरे चित्त में बसा। गणित जीवन का छोड़कर,