सुन्न पड़ गई ज़िन्दगी तमाचा वक़्त ने यूँ मारा राह भी सही चले रहे फिर ये मंज़िल जाने क्यूँ बेखबर रही एक हम ही नही अकेले हम जैसो के है और भी मेले इस सदी के जवानियों को जाने किसकी नज़र लगी वो दिवानगी वो मस्तानापन बेबाक- सी चंचल वो धड़कन खो गई वो कहानियाँ जी गई जो जवानियाँ अब मिलती हैं उसकी महज़ किताबों में ही निशानियाँ भ्रस्ट कुछ इस कदर हो रही मानसिकता भ्रस्टाचारी की शिकार जम के हो रही जवानियाँ खुशियों की कोई कल्पना करे भी तो कैसे करे आधार ही हमारी हीला रही कुछ ऐसी घटित हो रही कहानियाँ । ©gudiya #सुन्न पद गाई ज़िन्दगी #sunn #bharshataar #berozgari #Rose