गहरे काले स्याह पर्दे सियासत के उड़ रहे हैं राज़ कैसे कैसे जम्हूरियत के भी उगल रहे हैं इल्ज़ामों की हकीकत से नावाकिफ अवाम है जो भी जो कुछ बोल रहा है मानते चल रहे हैं . पर्दे