लब्ज तेरि लारखारा रहि है कुछ तो खास है बत ,,जो कदम तेरि डग्मागा रहि है बिन बोले मय बुझ चुका हु ।। गरिब के सथ,! कत्ल का इन्साफ कत्लेयाम हो रहि है ।।।। by kumar Bishal .. #solitary garib ka pyar