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काश!.. कोई एसा मजहब़ होता , जो बेटीयों के ख्वाबो क

काश!.. कोई एसा मजहब़ होता ,
जो बेटीयों के ख्वाबो को पूरा करना सबाब समझता ,
घर की चार दिवारी से निकाल कर ,
अपनें पाँव पर खडा होना सिखा देता ,
 उम्मीदें देता हसरतों को न मारता,
 दूनिया के साथ कदम से कदम 
मिला कर चलने देता, आँख में आँख
 मिला कर बात करने देता ,
नजरें झुकाना गुनाह समझता , 
अपनी बात रखने देता , 
सलाह मशवरा करने देता,
एक बेटी का आने वाला कल उस के
हाथों में महफूज रहने देता ,
काश!!.. कोई ऐसा मजहब होता ,
तो कोई हक से कहता कि हाँ!!!..
हमारे मजहब मे ऐसा ही लिखा है , 
काश !!!!..कुछ ऐसा ही लिखा होता ,
 न जाने कितनी जिन्दगीयाँ घुट -घुट 
कर जीने से बच जाती , 
बंदिशों से आजाद हो जाती ,
अपनी जिन्दगी अपनी मर्जी से जी जाती , काश!!!!!....कोई ख्वाब पूरे कर लेने देता...? #खवाब #हसरतें #नजरें #बंदिशें #जिन्दगी #yqhindiyqhindi #yqdidi
काश!.. कोई एसा मजहब़ होता ,
जो बेटीयों के ख्वाबो को पूरा करना सबाब समझता ,
घर की चार दिवारी से निकाल कर ,
अपनें पाँव पर खडा होना सिखा देता ,
 उम्मीदें देता हसरतों को न मारता,
 दूनिया के साथ कदम से कदम 
मिला कर चलने देता, आँख में आँख
काश!.. कोई एसा मजहब़ होता ,
जो बेटीयों के ख्वाबो को पूरा करना सबाब समझता ,
घर की चार दिवारी से निकाल कर ,
अपनें पाँव पर खडा होना सिखा देता ,
 उम्मीदें देता हसरतों को न मारता,
 दूनिया के साथ कदम से कदम 
मिला कर चलने देता, आँख में आँख
 मिला कर बात करने देता ,
नजरें झुकाना गुनाह समझता , 
अपनी बात रखने देता , 
सलाह मशवरा करने देता,
एक बेटी का आने वाला कल उस के
हाथों में महफूज रहने देता ,
काश!!.. कोई ऐसा मजहब होता ,
तो कोई हक से कहता कि हाँ!!!..
हमारे मजहब मे ऐसा ही लिखा है , 
काश !!!!..कुछ ऐसा ही लिखा होता ,
 न जाने कितनी जिन्दगीयाँ घुट -घुट 
कर जीने से बच जाती , 
बंदिशों से आजाद हो जाती ,
अपनी जिन्दगी अपनी मर्जी से जी जाती , काश!!!!!....कोई ख्वाब पूरे कर लेने देता...? #खवाब #हसरतें #नजरें #बंदिशें #जिन्दगी #yqhindiyqhindi #yqdidi
काश!.. कोई एसा मजहब़ होता ,
जो बेटीयों के ख्वाबो को पूरा करना सबाब समझता ,
घर की चार दिवारी से निकाल कर ,
अपनें पाँव पर खडा होना सिखा देता ,
 उम्मीदें देता हसरतों को न मारता,
 दूनिया के साथ कदम से कदम 
मिला कर चलने देता, आँख में आँख

#खवाब #हसरतें #नजरें #बंदिशें #जिन्दगी #yqhindiyqhindi #yqdidi काश!.. कोई एसा मजहब़ होता , जो बेटीयों के ख्वाबो को पूरा करना सबाब समझता , घर की चार दिवारी से निकाल कर , अपनें पाँव पर खडा होना सिखा देता , उम्मीदें देता हसरतों को न मारता, दूनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चलने देता, आँख में आँख