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कुछ यादें और तन्हाई मुझको लाईं  मधुशाला । साकी अप

कुछ यादें और तन्हाई 
मुझको लाईं  मधुशाला ।
साकी अपनी आंखों से
एक जाम बना दे आला।।

      तेरी आंखों में दिखता
         मदिरा का रीता प्याला।
             ग़म सारे धुल जायेंगे,
                 साकी छलका दे हाला।।

हम दोनों रहे भटकते
गलियां और चौबारा।
मधुशाला ने मिलवाया -
बिछुड़ें न कभी दोबारा।।

©कमल कांत
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