#किसानआंदोलन अन्दर की बात थी बाहर हो गई।। सोचा था की सड़क साफ हो गई।। कोई नाइंसाफी की बात हो गई। । हूकार से जनमानस भीड़ हो गई।। संसद चली अन्दर वार्ता बाहर हो गई।। चलती सड़क किसानों से जाम हो गई।। पानी के साथ बिजली भी रवाना हो गई।। किसान की पंचायत में की हूकार हो गई।। बात अन्दर की है, हर घर में रोटी-दाल है।। उसी किसान की है, जो सड़क पर बैठा है।। मेहनत का काम है, खून पसीने की कमाई है।। आळा-वर्षा की मार है,फिर भी थाली भरी है।। कुछ तो कमी रह गई मेरी मेहनत में।। जब ही भटक रहा हूं दर-दर शहर में।। लालच का बाज़ार है हर कोई हेरफेर में।। मैं भी अडिग हूं हर अपनी ललकार में। । सत्ता मुझे पुकारती जो लोभ-लालच के में।। _____ग्वार,आतंकी नही हिचकि कहने में।। माना की मदमस्त है सत्ता के तख्तोताज में।। तख्तोताज पलट जाता है हिसाब-किताब में।। #किसानआंदोलन #yqbaba #yqdidi